राजकुमार राव ने अभिनय नहीं किरदार को जिया है

हंसल मेहता की प्रस्तुति ओमर्टा को Zee5 पर लांच किया गया । ओमेर्टा फिल्म का ताना-बाना आतंकवाद के आस-पास बुना गया है । जिसमे उमर सईद शेख नाम के आतंकवादी को दिखाया गया है, जो असल में एक सच्चे आतंकवादी की कहानी है और यह इस आधुनिक युग के सबसे ज्यादा खूंखार आतंकवादिओं में से एक है।
कहानी –
राजकुमार राव द्वारा अभिनीत फिल्म की कहानी इंग्लैंड में जन्मे उमर सईद शेख नामक खूंखार आतंकवादी के आतंक भरे सफर की कहानी है , जिसमे पहले उसका 1994 में चार विदेशी नागरिकों के अपहरण की योजना फिर उसका दिल्ली पुलिस द्वारा पकडे जाने पर आईएसआई का एजेंट करार दे तिहार जेल भेजा जाता है , फिर उसके आतंकवादी बन ने के सफर को दर्शाया जाता जिसमे उसको जिहादी बाना उसको ट्रेनिंग दी जाती है और आगे दिखाया जाता है की कैसे उसने 1992 में बोस्नियाई हमले प्लान किये , विदेशी पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या , कैसे 9/11 हमले करवाए और कैसे 2008 मुंबई हमले को मास्टरमाइंड कर सब कुछ तबाह कर आतंकवाद को फैलाता गया ।.

अभिनय –
जहा तक अभिनय की बात करे तो नायक के तौर पर राजकुमार राव की एक्टिंग उच्च दर्जे की है , इस से पहले भी कई फिल्मो जैसे शहीद , न्यूटन में राजकुमार अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुके है परन्तु एक खूंखार आतंकवादी के रूप में राजकुमार राव ने नए आयामों को छुआ है । बाकि के किरदारों को इतना मौका नहीं मिला है की वो अपनी छाप छोड़ पाए पर हां मारे गए पत्रकार पर्ल के रूप में टिमोथी रयान हिकर्नेल बहुत अच्छे लगे हैं ।
फिल्म –
यह देखते हुए कि फिल्म दुनिया के सबसे खूंखार आत्नकवादी के बारे में है, फिल्म का टोन गंभीर है । फिल्म के कुछ दृश्य भायवह है और इनको देखना बिलकुल भी आसान नहीं है । फिल्म में वास्तविक जीवन के फुटेज का उपयोग किया गया है जिस से फिल्म की वास्तविकता को सहारा मिलता है परन्तु कुछ जगह फिल्म को ज़रूरत से ज्यादा खींचा गया है और इन दृश्यों को छोटा किया जा सकता था या हटाया भी जा सकता था जैसे उम्र के आईएसआई कैंप में ट्रेनिंग के दृश्य , जिसकी वजह से फिल्म लम्बी और धीमी गति की हो गयी है ।

निर्देशन –
ओमेर्टा को हंसल मेहता ने निर्देशित किया है, जिन्होंने राजकुमार के साथ पिछले तीन फिल्मो में काम किया है – शाहिद, सिटीलाइट्स और अलीगढ़ में मिलकर काबिलेतारीफ काम किया है । पूरी फिल्म में मेहता ने कैमरे को राव के ऊपर ही केंद्रित रखते है इसके बावजूद, उनके चरित्र को कई बार काम तरीके से रेखांकित किया गया। कुछ दृश्यों को बहुत अच्छा फिल्माया गया है जैसे विदेशी नागरिकों के पूरे अपहरण के दृश्य को । डैनियल पर्ल का पूरा सबप्लॉट पेचीदा और चतुराई से संभाला गया है। मेहता द्वारा कुछ भयानक ध्वनि-संपादन और राव के भावों को बहुत ही अच्छे तरीके से प्रस्तुत किया गया है ।
निष्कर्ष –
ओमेर्टा उमर के जीवन के तीन मह्त्वपूर्ण चरणों को दिखाती है – पहला उग्रवादी शिविर में उसका समावेश, दूसरा 1994 में विदेशी 4 नागरिकों का अपहरण और तीसरा डैनियल पर्ल की हत्या। यदि आप डब्ल्यूटीसी के हमलों या 2008 के मुंबई हमलों में उसकी भागीदारी के बारे में अधिक जानने की उम्मीद करते हैं तो आप निराश होंगे ।
फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है राजकुमार राव का अभिनय जो कई जगह आपके रोंगटे खड़े कर देगा , जैसे उम्र का एक डायलाग “सलाम डॉक्टर साहब ”जब जब आप ये सुनेंगे तो आपको उम्र की क्रूरता का एहसास होगा । एक बायोपिक के तौर पर ये निश्चित रूप से शीर्ष 10 सर्वश्रेष्ठ बायोपिक्स में शामिल हो सकती है । सही अभिनेताओं के अभिनय, निर्देशन, और कास्टिंग को स्टैंडिंग ओवेशन दिया जाना चाहिए । एक बार तो फिल्म देखना बनता है ।
हमारी रेटिंग – 3.5/5
must watch for rajkumar rao at least
Interesting story so I will watch