
गर्मी की छुट्टिया और वो बचपन का समय तो सभी को याद ही होगा जब आप अपने परिवार के साथ चिड़ियाघर जाते थे,या जब स्कूल पिकनिक में आपको चिड़ियाघर ले जाया जाता था,या जब भी कोई घर में घूमने आया तो तो सबसे पहला प्लान चिड़ियाघर जाने का ही बनता था और वहा हम केवल उस नारंगी शरीर पर काली धारियों वाली बड़ी बिल्ली यानि ‘टाइगर’को देखकर रोमांचित हो जाते थे,जिसकी गर्जना सुन के हम सब हक्का बक्का हो जाते थे? उन सुनहरे दिनों में हम वास्तव में इस शाही जानवर से डरते थे लेकिन गुजरते समय के साथ,इन जंगली बिल्लियों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है और अब इनको गुमनामी से बचाने की जिम्मेदारी हमारे सामने आ गई है।
विश्व वन्यजीव फाउंडेशन(WWF) ने बाघों को लुप्त प्रजाति में डाल दिया है क्योंकि इस समय दुनिया में लगभग 3900 बाघ ही बचे हैं। इसलिए बाघ संरक्षण को मद्देनज़र रखते हुए आज के दिन यानि 29 जुलाई को दुनिया भर में हर साल ‘इंटरनेशनल टाइगर डे‘के रूप में मनाया जाता है ।
कैसे हुई शुरुआत –
सेंट पीटर्सबर्ग शिखर सम्मेलन 2010 में बाघ संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने और बाघ संरक्षण के लिए 29 जुलाई को ‘इंटरनेशनल टाइगर डे’ घोषित किया यहाँ 13 देशो ने हस्ताक्षर किए और 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का फैसला किया है।

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हमें क्यों ज़रुरत पड़ी अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मानाने की ?
विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के अनुसार दुनिया भर में 20 वीं सदी की शुरुआत से अब तक 95% बाघों की आबादी खो गई है और इनके लगातार गिरती जनसँख्या को देख इनको लुप्त प्रजाति में डाल दिया गया। जिसकी वजह से बाघ संरक्षण को बढ़ने, इसका पालन और इसकी जगरूकरता फ़ैलाने के ये अतिआवश्यक हो गया की हम इस लुप्त होती प्रजाति को अपनी जिम्मेदारी समझ बचाये अन्यथा हम दोबारा इस जाबाज़ जानवर को शायद कभी न देख पाए।

क्यों हो रहे है बाघ लुप्त ?
बाघों की आबादी के लुप्त होने के मुख्य कारण – अवैध शिकार, जलवायु परिवर्तन और उनके प्राकृतिक आवास का विनाश है। इंसानो के हर जगह या बाघों के प्राकृतिक आवास के आस- पास वसने से उनको प्राकृतिक जलवायु नहीं मिल पा रही जिस से उनको कई अनजानी बिमारी होती जा रही जिसकी वजह से बाघ पैदा होने के कुछ दिनों के अंदर ही मरते जा रहे है।
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क्या है अभी की स्तिथि ?
2019 में पूरे देश की बाघ की जनगणना में बाघों की आबादी में लगभग 33% वृद्धि दर्ज की गयी है, यह भारत की उपलब्धि को उजागर किया गया था। परन्तु ये काफी नहीं है, बाघों के संरक्षण के बारे में अभी भी बहुत अधिक जागरूकता पैदा करने और इस अविश्वसनीय प्रजातियों के लिए एक सुरक्षित प्राकृतिक आवास बनाने की आवश्यकता है।
इंटरनेशनल टाइगर डे या अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस 2020 के दिन जानते है इस शाही जानवर के बारे में कुछ अविश्वसनीय तथ्य –
- टाइगर की औसतन जिंदगी 11 साल होती है।
- बाघ के शावक पैदा होते समय अंधे होते हैं, और जन्म के 6 से ८ हफ्तों बाद ही उनकी आंखों की ज्योति आती है।
- टाइगर पेड़ पर भी चल चढ़ सकते हैं।
- टाइगर का वजन अधिकतम वजन 363 किलोग्राम हो सकता है।
- टाइगर अच्छे तैराक होते हैं और उन्हें पानी में रहना बेहद पसंद होता है।
- टाइगर अधिकतम 65 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से दौड़ सकते हैं।
- टाइगर ज्यादातर अकेले और बाकियों से दूर रहते हैं और अपने मूत्र या लार से अपना छेत्रीकरण कर दुसरो से अलग रहते है।
- टाइगर की11 प्रजातियां होती है जिसमें से तीन गायब हो गई है।
- टाइगर के शरीर पर पड़ी हुई पट्टियां किसी भी दूसरे टाइगर से नहीं मिल सकती।
- टाइगर की दहाड़ 3 किलोमीटर दूर तक सुनाई दे सकती है ।
- टाइगर अपने पेरेंट्स पर आश्रित नहीं रहते हैं ।
- मेल टाइगर 3 साल और फीमेल टाइगर 4 साल में अपनी सेक्सुअलिटी का बोध हो जाता है।
- टाइगर के पीछे के पैर उनके आगे के पैरों के मुकाबले ज्यादा लंबे होते हैं जिससे वह बहुत दूर तक छलांग मार सकते हैं और उनकी पूछ भी इसमें सहायता करती है जिससे के कहते हैं उन्हें मोड़ने में बहुत आसानी होती है।
- डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अनुसार टाइगर की लार में एंटीसेप्टिक तत्व पाए जाते है, जिसकी वजह से वह अपनी चोटों को चाटते रहते हैं ।टाइगर को दिन के मुकाबले रात में 6 गुना ज्यादा दिखता है ।
- टाइगर की अलग-अलग प्रजाति पाई जाती है जिनका नाम है साइबेरियन टाइगर, बंगाल टाइगर, इंडोचाइनीस, टाइगर मलयालन, टाइगर साउथ चाइना आदि ।
- बंगाल टाइगर भारत में पाए जाते हैं जो बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, चाइना और मयमार में मिलते हैं।
- लुप्त हुए टाइगर का नाम है – बाली टाइगर, कैस्पियन टाइगर और जवान टाइगर।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो ने मंगलवार को अखिल भारतीय बाघ अनुमान -2018 रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में दुनिया में कुल बाघों की आबादी का 70% हिस्सा है साथ ही केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन टाइगर जनगणना रिपोर्ट जारी करने के साथ-साथ ग्लोबल टाइगर डे 2020 को मनाने को कहा।
ग्लोबल टाइगर डे 2020 का नारा है – ‘Their Survival is in Our Hands’ यानि ‘उनका अस्तित्व हमारे हाथों में है ।’हम अपनी Janawaznews.com की टीम की तरफ से सभी को इंटरनेशनल टाइगर डे की शुभकामनाएं देते है और बाघों को बचाने में सबका सहयोग मांगते है।
sahi hai tiger zinda hai
Tigers r proud n backbone of our wildlife must keep safe tigers
Your article is really impressive and gives us important information about our national animal “tiger”…
We should save the tigers …
Save tigers