
तीन माह पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत के पैकेज के अंतर्गत कर्मचारियों की सहायता हेतु ईपीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन दर घटाई गई थी। कोरोना महामारी के चलते काफी लोगों की सैलरी कंपनियों द्वारा काटी गई थी, जिसके चलते लोगों को घर चलाने में परेशानी आने लगी थी, इसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने ईपीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन दर 12 प्रतिशत से घटा कर 10 प्रतिशत कर दी थी। इसका मूल मकसद कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से जुड़े 4 करोड़ से अधिक कर्मचारियों और 6 लाख से अधिक प्रतिष्ठानों को लाभ पहुँचाना था।
सरकार ने दर करने काम का नियम मई, जून, जुलाई 2020 तक के लिए लागू किया था, अब इसे फिर से 1 अगस्त से बढ़ाया जाएगा और सभी का ईपीएफ 12 प्रतिशत दर के हिसाब से काटा जाएगा । इस कॉन्ट्रिब्यूशन में कंपनी और एम्प्लॉई दोने अपनी तरफ से 12 – 12 प्रतिशत योग दान देते है।
ईपीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन का ब्रेक अप
नियम अनुसार, कर्मचारी हर माह अपनी सैलरी के बेसिक वेज और डियरनेस अलाउंस का 12 प्रतिशत दिए गए ईपीएफ खाते में डालता है, वही कंपनी भी अपनी तरफ से 12 प्रतिशत योगदान देती है और विस्तार में बात करें तो 24 फीसदी में से कर्मचारी अपना पूरा 12 प्रतिशत देता है वही कंपनी 3.67 फीसदी ईपीएफ खाते में डालती है और 8.33 फीसदी कर्मचारी पेंशन स्कीम (ईपीएस) अकाउंट में डालती है।
जिन लोगो ने ईपीएफ में कम कॉन्ट्रिब्यूशन का ऑप्शन यानि वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड यानी वीपीएफ का चयन किया है उन्हें यह ध्यान रखना होगा की अगले महीने से सैलरी से अधिक दर पे ईपीएफ काटा जाएगा, अगर उन्हें इससे बचना है तो कर्मचारिओं को अपना वीपीएफ रुकवाना पड़ेगा।
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