
भगवान श्री कृष्ण का नाम आते ही उनकी बाल लीला और प्रेम लीला का स्मरण आ जाता है। इनके जन्मदिन यानी जन्माष्टमी को भी बहुत ही प्रेम और उत्साह के साथ मनाया जाता है. देश भर के कृष्ण मंदिरों में जन्माष्टमी बहुत धूम-धाम से मनाई जाती है और हो भी क्यों न उनकी बचपन की लीलायें सब का मन मोह लेती है। भगवान श्री कृष्ण को लेकर कई लोगों के मन में कई सवाल रहते हैं जैसे उनका जन्म कारागार में कैसे हुआ? उन्होंने कंश को क्यों मारा? उन्होंने राधा से शादी क्यों नहीं की? उन्होंने युद्ध में पांडवों का साथ क्यों दिया? चलिए आज इन्हीं सवालों का जवाब पाने की कोशिश करते हैं.
कारागार में भगवान श्री कृष्ण का जन्म

श्री कृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था उनके मामा कंश ने अपनी बहन देवकी और यदुवंशी सरदार वसुदेव का विवाह कराया था वह उन्हें लेकर मथुरा जा रहा था तभी आकाश में भविष्यवाणी हुई की देवकी और वसुदेव का 8वां पुत्र यानी भगवान कृष्ण कंश का वध करेंगे। कंश यह सुनकर अपनी बहन व वसुदेव को बंदी बना लेता है और जब जब वसुदेव और देवकी की संतान जन्म लेती उसी वक़्त कंश उन्हें मार देता। जैसे ही देवकी और वसुदेव की 8वीं संतान भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ चारो तरफ अंधकार हो गया और जोर-जोर वर्षा होने लगी, कारागार का द्वार अपने आप खुल गया और वसुदेव कृष्ण को लेकर निकल पड़े. वह उन्हें कंश के कारागार से दूर गोकुल में बाबा नंदलाल के घर छोड़ आये और उनकी कन्या को अपने साथ ले गए।
श्री कृष्ण ने किया कंश का वध
बाल अवस्था में ही कंश ने अपनी मायावी सकती से कृष्ण वध करने की कोशिश करता रहा. लेकिन प्रभु की माया ने उसे हर बार विफल कर दिया। अंत में कंश ने उन्हें अपने मायावी पहलवानों से मुकाबले के लिए आमंत्रित किया। प्रभु कृष्ण तो सब जानते थे. फिर भी उन्होंने कंश का निमंत्रण स्वीकार्य किया और पहलवानों को हराया। यह देख कंश आग बबूला हो गया और प्रभु कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा तभी कृष्ण ने कंश के साथ युद्ध कर उसे मार दिया।
कृष्ण ने राधा से प्रेम किया विवाह नहीं

कृष्ण और राधा दोनों ही एक दूसरे को बहुत प्रेम करते थे. लेकिन विवाह नहीं किया। कहा जाता है कि श्री कृष्ण 10 वर्ष की उम्र में ही वृंदावन छोड़ कर चले गए थे और राधा को बोला था की वह वापस आएंगे लेकिन वह कभी वापस नहीं आये. दोनों के बीच प्रेम तो था लेकिन शादी नहीं हुई. श्री कृष्ण का विवाह लक्ष्मी रूपी रुक्मणी से हुआ.
कृष्ण ने युद्ध में दिया पांडवों का साथ

महाभारत के युद्ध में भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों का साथ इस लिए दिया क्युकी वह धर्म के लिए युद्ध कर रहे थे. उन्होंने कहा भी था कि जहां धर्म है वहां मैं हूँ. पांडव ने धर्म की रक्षा के लिए कौरवों से युद्ध किया। श्री कृष्ण ने अर्जुन का सारथी बन उसका मार्गदर्शन किया व युद्ध में पांडवों को जीत भी दिलाई।
अपने प्रियजनों को भेजें जन्माष्ठमी की शुभकामनाएं

माखन का कटोरा मिश्री का थाल,
मिटटी की खुशबु बारिश की फुहार,
राधा की उम्मीदें कन्हैया का प्यार,
मुबारक हो जन्माष्टमी का त्यौहार!
कृष्ण जिनका नाम,
गोकुल जिनका धाम,
ऐसे श्री कृष्ण भगवान को
हम सब का प्रणाम,
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई.
माखन चुराकर जिसने खाया,
बंसी बजाकर जिसने नचाया,
खुशी मनाओ उसके जन्म दिन की,
जिसने दुनिया को प्रेम का रास्ता दिखाया.हैप्पी जन्माष्टमी
कृष्ण की महिमा, कृष्ण का प्यार;
कृष्ण में श्रद्धा, कृष्ण से ही संसार;
मुबारक हो आप सबको जन्माष्टमी का त्योहार!
मन को मोहित करने वाले कृष्ण भजन
Information n bhaja!s r very nice
Jai Shree Krishna