भारतीय आथित्य परंपरा के खिलाफ तब्लीगी जमात के विदेशिओ को किया गया बुक – बॉम्बे हाई कोर्ट

बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) की औरंगाबाद पीठ जिसमे जस्टिस टी वी नलवाडे और एम जी सेविलिकर ने कहा है कि इस साल मार्च में दिल्ली में आयोजित तब्लीगी जमात (Tablighi) कार्यक्रम में शामिल होने वाले विदेशी नागरिकों के खिलाफ दायर एफआईआर को खारिज कर दिया।
कोरोना वायरस के दौरान 29 विदेशी नागरिकों को दिल्ली में आयोजित तब्लीगी जमात मण्डली में शामिल होने के कारण सभी को पर्यटक वीजा शर्तों का उल्लंघन करने के लिए आईपीसी, महामारी रोग अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और विदेशी अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत बुक किया गया था।

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि यह दिल्ली में मरकज़ में आये विदेशी लोगों के खिलाफ एक बड़ा नेगेटिव प्रोपगंडा (नेगेटिव प्रोपगंडा) था क्युकी तथाकथित धार्मिक गतिविधि (तब्लीगी जमात) 50 वर्षों से अधिक समय से चल रही थी और यह पूरे वर्ष भर चलती रहती है।
अदालत ने कहा की महामारी के बिगड़ते हालातो के लिए सरकार को उस समय एक बलि का बकरा चाहिए था इसलिए उन्होंने इन विदेशियों को चुना । आगे अदालत ने अपने फैसले में कहा कि भारत में COVID -19 के ताजा आंकड़े ये साफ़ साफ़ बताते है की याचिकाकर्ताओं के खिलाफ ऐसी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए थी।
अदालत ने आगे सवाल भारतीय परंपरा और सभ्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या वास्तव में भारत में लोग मेहमानों का स्वागत करने की अपनी महान परंपरा और संस्कृति के अनुसार काम कर रहे हैं। हमें और अधिक सहिष्णुता दिखाने की जरूरत है और अपने मेहमानों के प्रति अधिक संवेदनशील होने की जरूरत है। पीठ ने कारण देते हुए कहा कि इन विदेशियों के ऊपर समय भारत में मसजिद की यात्रा पर प्रतिबंध नहीं था और यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं है कि यह गतिविधि सरकार द्वारा स्थायी रूप से प्रतिबंधित कि गयी हो।
अदालत ने कहा, “विदेशियों के खिलाफ कि गयी कार्यवाही में हमे पश्चाताप करने की ज़रूरत है और इस तरह की कार्रवाई से हुए नुकसान की मरम्मत के लिए कुछ सकारात्मक कदम उठाने का अब उच्च समय है।”
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि वे भारतीय संस्कृति, परंपरा, आतिथ्य और भारतीय भोजन का अनुभव करने के लिए फरवरी 2020 और 10 मार्च 2020 से पहले वैध वीजा पर भारत आए थे । विदेशी नागरिकों के अलावा, पुलिस ने याचिकाकर्ताओं को आश्रय देने के लिए छह भारतीय नागरिकों और मस्जिदों के ट्रस्टियों को भी बुक किया। पीठ आरोपी विदेशी नागरिकों द्वारा दायर तीन अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जो घाना, तंजानिया, बेनिन और इंडोनेशिया जैसे देशों से संबंधित हैं।
बांबे, हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय से भले ही कुछ लोग सहमत न हों किन्तु इसमेें भी दोष सरकार का ही है