Brucellosis Virus – क्या चीन बाकई बनाएगा भारतीय पुरुषो को नापुंशक ?

Brucellosis Virus – चीन की वुहान लैब से निकला वायरस – नावेल कोरोना वायरस (COVID-19) ने ऐसी तबाही मचाई की अभी तक दुनिया इसका खामियाज़ा भुगत रही है । कोरोना वायरस के चलते भारत की जीडीपी -23.9% तक गिर गयी है, और अब फिर चीन के शैतानी दिमाग ने भारतीयों को निशाना बनाते हुए एक नया वायरस “Brucellosis“, बना दिया जो में पुरुषो में नापुंसकता उत्पन्न करता है, और मीडिया में इसकी खबरें आ रही है, जिसकी वजह से चीन के 3,245 लोगों संक्रमित हुए हैं और इसका सृजन चीन की लान्चो पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान की एक लैब को बताया जा रहा है।

Brucellosis Virus : आइये जाने इस नए वायरस के बारे में पूरा सच –
लान्चो स्वास्थ्य आयोग द्वारा 15 सितंबर को नॉर्थवेस्ट चीन की एक रिपोर्ट के अनुसार ब्रुसेला नाम के एक वायरस/ जीवाणु का रिसाव हुआ था। जैसा की दावा किया जा रहा कि ब्रुसेलोसिस, एक जीवाणु रोग है, साउथ मॉर्निंग चीन पोस्ट छपे में छपे एक लेख के अनुसार यह जीवाणु पुरुषों में बांझपन/ नपुंसकता ला सकता है। चीन के यंग्ज़हौ यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन के एक प्रोफेसर झू गुओकियांग ने समाचार एजेंसीज को बताया कि अगर इस बीमारी का सही इलाज नहीं किया गया, तो इससे बांझपन हो सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वह संक्रमित बैक्टीरिया के कितनी मात्रा के संपर्क में आने से बीमारी होगी इसके बारे में वे नहीं जानते।
वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के अनुसार ये स्पष्ट किया गया है कि इस बीमारी का मानव संचरण दुर्लभ है। शीर्ष सार्वजनिक स्वास्थ्य अनुसंधान निकाय ने अभी इस रोग का परिणाम के रूप में बांझपन/ नापुंसकता का कोई भी उल्लेख नहीं किया हैं। लान्चो संस्थान के अनुसार ये आम तौर पर जानवरो की बीमारी के खिलाफ टीका लगाया जाता है और वह इस वैक्सीन का निर्माण कर रहा था जब यह रिसाव हुआ। ब्रुसेलोसिस के खिलाफ अभी कोई मानव टीके नहीं हैं।
Brucellosis Virus : क्या है ब्रुसेलोसिस ?

ब्रुसेलोसिस विभिन्न ब्रूसेला प्रजातियों के कारण होने वाली एक जीवाणु बीमारी है जो मुख्य रूप से मवेशियों, सूअर, बकरियों, भेड़ों और कुत्तों को संक्रमित करती है। मानव आमतौर पर संक्रमित जानवरों के साथ सीधे संपर्क के माध्यम से, दूषित जानवरों के उत्पादों को खाने या पीने या हवाई एजेंटों को साँस लेने से प्राप्त करता है। ज्यादातर मामले संक्रमित बकरियों या भेड़ों से अनपेक्षित दूध या पनीर के सेवन के कारण होते हैं। जो लोग जानवरों के साथ काम करते हैं और रक्त, प्लेसेंटा, भ्रूण और गर्भाशय स्राव के संपर्क में होते हैं, उनमें इस बीमारी के होने का खतरा बढ़ जाता है।
ब्रुसेलोसिस का निदान एंटीबॉडी परीक्षण के माध्यम से किया जाता है। फ्लू जैसे लक्षण बुखार, कमजोरी, वजन कम होना जैसे सामान्य लक्षण हैं। इस बीमारी के लिए संयुक्त एंटीबायोटिक चिकित्सा सबसे इष्टतम उपचार है।
Brucellosis Virus : कैसे हुई इसकी उत्पत्ति ?
चीन में 24 जुलाई से 20 अगस्त के बीच चाइनीज एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चर की लान्चो वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट में जानवरो के लिए ब्रुसेला वैक्सीन का उत्पादन हुआ था। परन्तु नियंत्रण की कमी और सही संतुलन न बन ने के कारण धुए के रूप में इसका रिसाव हो गया ।
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फिर 26 दिसंबर, 2019 की शुरुआत में, 181 से अधिक कर्मचारी और छात्र संक्रमित हुए। इसके बाद, महीनों के दौरान जीवाणु अपशिष्ट गैस ने एरोसोल का रूप लेकर हवा के साथ मिल भोजन को भी दूषित कर दिया। 14 सितंबर, 2020 तक, परीक्षण किए गए 21,847 लोगों में से 3,245 लोगों में इसको पॉजिटिव पाया गया।
Brucellosis Virus : क्या कहती है रिसर्च स्टडी ?
बूम द्वारा वैज्ञानिक अनुसंधान सर्च इंजन Google Scholar, PubMed और साइंस Direct पर शोध करने से पता चलता है कि ब्रुसेलोसिस पुरुषों में एपिडीडिमिस (अंडकोष के पीछे की नली) और अंडकोष की सूजन और सूजन का कारण बन सकता है। और इन रोगों का उपचार एंटीबायोटिक थेरेपी के माध्यम से किया जाता है। क्युकी 2014 और 2006 में तुर्की में प्रकाशित दो अध्ययनों से पता चला है कि ब्रुसेलोसिस से प्रभावित बहुत कम लोगो में वास्तव में बांझपन विकसित करते हैं। 2014 में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया की 390 संक्रमित रोगियों में से सिर्फ एक ही में स्थायी बांझपन/नपुंसकता विक्षित हुई । बाकिओ में कम शुक्राणुओं की संख्या, वीर्य की अनुपस्थिति और शुक्राणुओं की अनुपस्थिति पाई गयी परन्तु इस से स्थाई बाँझपन/ नपुंसकता नहीं हो सकती ।
Brucellosis Virus : कितना बड़ा है ये खतरा ?
ब्रुसेलोसिस एक वायरस नहीं बैक्टीरिया है मनुष्यों को प्रभावित कर रहा है। और यहाँ ये जान न जरुरी है की बैक्टीरिया, जो एकल-कोशिका वाले होते हैं और एक मेजबान के बिना जीवित रह सकते हैं को एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक किया जा सकता है। वही दूसरी बार दूसरी ओर वायरस, एक मेजबान के बिना जीवित नहीं रह सकते हैं और इसको सही करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं से परे चिकित्सा की आवश्यकता होती है। तो इसमें उन व्यक्तिओ को जो लोग जानवरों के साथ काम करते हैं और रक्त, प्लेसेंटा, भ्रूण और गर्भाशय स्राव के संपर्क में होते हैं में ये बीमारी के होने का खतरा बढ़ जाता है ।
Beware of china
China becomes danger to whole world day by day
Uff china ne to tabahi macha rakhi h
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